कैसा हो आपके घर का मंदिर जानिए वैदिक वास्तु के ज़रिये-
By Aashish Patidar Jan 21 2020 VASTU
हमारे घर में जिस प्रकार हर एक कमरे का अपना महत्व है उसी प्रकार से पूजा घर / मंदिर भी हमारे घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय पद्धति के अनुसार भी मंदिर घर में एक महत्वपूण स्थान रखता है, जहाँ विभिन्न देव व देवियों को स्थान दिया जाता है और उन्हें हर रोज़ पूजा जाता है, जिससे घर में शान्ति, समृद्धि और धन का आगमन होता है।
घर में मंदिर एक पवित्र स्थान है जहाँ हम भगवान की पूजा करते हैं। इसलिए, स्वाभाविक रूप से, यह एक सकारात्मक और शांतिपूर्ण स्थान होना चाहिए। मंदिर क्षेत्र जब वास्तु शास्त्र के अनुसार रखा जाता है तो घर और वहां रहने वालों के लिए स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी ला सकता है। हालांकि एक अलग पूजा कक्ष आदर्श होगा, यह हमेशा महानगरीय शहरों में संभव नहीं है, जहां जगह की कमी सामान्य रूप से पायी जाती है।
आईए जानते हैं मंदिर और घर में मंदिर के स्थान से जुड़ी कई मुख्य बातें जैसे किस स्थान पर हो मंदिर की स्थापना, किस दिशा में मंदिर बनाना है उचित? पौराणिक और शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान की पूजा और मंदिर का स्थान घर के एकांत स्थान में उत्तर - पूर्व के कोने में ही हो, जिसे ईशान कोण कहते है, किन्तु अज्ञानतावश कई लोग अपने शयन कक्ष में ही भगवान का स्थान स्थापित कर देते है जो कि सर्वथा अनुचित है।
शंका व समाधान-
किसी के घर में यदि परिस्थितिवश मास्टर बेडरूम के अलावा कोई स्थान नही है, तो वह व्यक्ति या तो रसोई के उत्तर पूर्व के कोने में मंदिर स्थापित करें किन्तु भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी ऐसी परिस्थिति परिवारों में देखी गयी है, जहाँ केवल एक ही कक्ष में भोजन शयन और बैठक बनायीं जाती है। शौचालय या तो कॉमन होता है या जंगल का प्रयोग करते है।
जिन व्यक्तियों के पास एक कक्ष के अलावा दूसरा कक्ष नहीं है उन व्यक्तियों की परिस्थितियों के अनुसार मंदिर अथवा पूजा स्थान के बारे में गहन अनुसन्धान से यह स्पष्ट हुआ की वह मनुष्य या परिवार अपने उसी कक्ष के इशान कोण में किसी भी विधि द्वारा अपने इष्ट देव का चित्र स्थापित कर सकते है।
प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति, धातु, पत्थर, लकड़ी एवं रत्न आदि की मूर्ति उस स्थान पर न रखे, यदि गलती से रखें हो तो उन्हें मंदिर या किसी धर्माचार्य को सौप देनी चाहिए, जिससे उसकी विधिवत पूजा की जा सके।
मंदिर से सम्बन्धित कुछ विशेष बातें-
- प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की वह अपने आवासीय परिसर के अन्दर कभी गलती से भी सार्वजनिक मंदिर, शिवालय स्थापित न करे।
- जिन घरों में स्थायी शिवालय देवालय या मंदिर होते है और नियमित पूजा-अर्चना नहीं होती वह परिवार निश्चित तौर पर घोर कष्टों को पातें है।
- जिन व्यक्तियों के घर मंदिर के आसपास हो या वह में मंदिर रहते हों, वो लोग भी बड़े धर्म संकट का शिकार बनते हैं, क्यूंकी ग्रहस्ति में सभी कुछ होता है, अतः वे लोग जहाँ तक संभव हो सके दूर जाने का प्रयास करें।
- जिन देवताओं के हाथ में दो से ज्यादा अस्त्र हों, ऐसी तस्वीरें और मूर्तियां भी मंदिर में न रखें। वास्तु के अनुसार इसे भी अशुभ माना जाता है।
वास्तु सम्बंधित आगे जानकारी लेने हेतु हमारे ब्लॉग पढ़ते रहे साथ ही हमारी संस्थान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलॉजी के साथ सीखें वैदिक वास्तु पत्राचार शिक्षा व विडिओ कोर्स के माध्यम से घर बैठे कभी भी कहीं भी। आज ही सीखें वास्तु और बने वास्तु विशेषज्ञ।
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