एक मोती के गुण हजार
By Aashish Patidar Dec 26 2019 GEMS_HEALING_&_CRYSTAL_THERAPY
मोती एक नाम अनेक
हिंदी में जिसे मोती कहते हैं, संस्कृत में उसे मुक्ता कहते हैं या मुक्ता फल कहते हैं, अरबी और फारसी में गौहर मौरवादीद और अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं।
प्राप्ति स्थान
मूंगे की तरह मोती भी पत्थर ना होकर जीवो विशेष के पेट से उत्पन्न होने वाला एकशैलखंड है। मोती की उत्पत्ति के विषय में अनेक मत प्रचलित हैं, सबका सार यह है कि समुद्री सीप की एक जाति विशेष के पेट से मोती निकलता है। यह सीप शिकारियों के द्वारा पकड़ा जाता है और फिर उसे मारकर पेट चीरकर मोती निकाला जाता है। अब तो वैज्ञानिकों ने कृत्रिम मोती बनाना प्रारंभ कर दिए हैं। समुद्री सीपी पाल कर उन्हें कुछ ऐसे विशिष्ट पदार्थ खिलाए जाते हैं जो सीपी के पेट में स्थित होकर विभिन्न तत्वों से अवतरित होकर मोती के रूप में बाजार में आते हैं, किंतु सर्वश्रेष्ठ मोती वही होता है, जो प्राकृतिक रूप में सीपी के पेट से निर्मित हुआ हो और चमक बनावट की दृष्टि से निर्दोष हो।
मोती के गुण
.मोती एकऐसारत्न है, जो कई सदियों से मनुष्य को लुभाता चला आ रहा है।मोती को रोजमर्रा की जरूरतों के हिसाब से पहना जा सकता है। साथ ही मोती एक ऐसा रत्न है, जिसे पूरे समय धारण किया जा सकता है। मोती की बनावट के अनुसार मोती के उपयोग भी होते हैं। मोती चंद्रमा ग्रह का रत्न है और चंद्रमा ग्रह निश्चित रूप से मन का कारक होता है। इसलिए सीधी सी बात है, कि मोती रत्न मन पर बहुत प्रभाव डालता है। एक अच्छा मोती मन को नियंत्रित कर पूरे जीवन को व्यवस्थित कर सकता है। ऐसे लोग जिनका मन बहुत चंचल होता है और उस चंचलता के कारण यदि वे जीवन में असफल होते हैं, तब मोती सबसे बढ़िया साधन होता है। उस मन को स्थिर करने का परंतु उसके लिए चपटा मोती धारण किया जाता है। एक स्वच्छ और चपटा मोती मन को व्यवस्थित कर एकाग्र करता है।इसके लिए बसरा का चपटा मोती श्रेष्ठ होता है।
ज्योतिष के आइने में मोती
कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा होता है और चंद्रमा का रत्न मोती होता है। इस आधार पर चंद्र रत्न मोती कर्क लग्न वालों के लिए निर्विवाद रूप से अनुकूल सिद्ध होता है। मोती धारण करके कर्क लग्न वाले व्यक्ति बहुत कुछ लाभ की अनुभूति करते हैं। सद्विचार, दीर्घायु, बौद्धिक, संपन्नता, स्वास्थ्य, लाभ, सौंदर्य, सद्भावना और प्रणयक्षेत्र में मोती उन्हें निश्चित रूप से लाभकारी होता है। ऐसे जातक यदि आजीवन मोती पहनने रहे, तो सहसा उन्हें किसी अभाव विरोध और विसंगतियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
मोती एक औषधि के रूप में
सौंदर्य के अनुसार तो मोती रत्न और लाभकारी होता ही है। परंतु औषधि के रूप में भी मोती बहुत लाभकारी होता है। यदि मोती नारंगी रंग का है, तो वह रक्तविकार, रक्तस्त्राव, नेत्र विका,र तिमिर रोग, वक्ष पीड़ा, शारीरिक दुर्बलता, शक्ति हास, दृष्टि दोष, वीर्य दोष और कांति हास आदि रोगों में बहुत लाभकारी औषधि के रूप में सिद्ध होता है और इस बात की पुष्टि ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ भौतिक शास्त्र यानी कि पदार्थ विज्ञान शास्त्र भी कर चुका है।
विशेष रोग मिर्गी में मोती
भारतीय विद्वानों ने रत्नों के विभिन्न उपयोगों का अनुसंधान किया है। उनका निष्कर्ष है, कि जिस प्रकार आयुर्वेद में रत्नों की भस्म और पीष्ठी का प्रभाव रोग निवारक होता है। उसी प्रकार रत्न को उसके मूल रूप में धारण करने से भी रोग विकार शांत होते हैं। मिर्गी के रोग में मोती रत्न चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। भ्रम, उन्मत्ता,मौन, प्रलाप और चेतना दौरा मिर्गी जैसे उपद्रव में और उनके शमन में मोती बहुत चमत्कार करता है। मानसिक और मस्तिष्क संबंधी विकारों में मोती धारण करके रोगी जन पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं।
मोती विभिन्न आयाम
अंक शास्त्र के अनुसार मूल अंक दो होने पर उसके स्वामी ग्रह चंद्रमा के अनुकूल रत्न मोती पहनने पर लाभ प्राप्त होता है। साथ ही जब वर्णों के अनुसार रत्नों का विभाजन किया जाता है, तो वैश्य वर्ण के लिए मोती रत्न उपयोगी होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि व्यापारी वर्ग यदि मोती धारण करता है और विशेषकर सबसे छोटी उंगली में यदि मोती पहनते हैं, तो व्यापारी वर्ग के लिए यह बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। वैवाहिक अवसर पर वधु को मोती का उपहार दिया जाना कल्याणकारी होता है। वैसे भी मोती शांति दायक है, इसे धारण करने से व्यक्ति की मानसिक.अस्थिरता, उलझन, उत्तेजना, शुष्कता दूर हो जाती है यह रत्न ज्वर और मस्तिष्क की।उष्णता को शांत करके तन मन को निरोग व शीतल बनाता है।
सभी लग्न और मोती
मेष लग्न वाले जातकों का चंद्रमा कुंडली के चतुर्थ भाव में विराजमान होता है, यह एक शुभ स्थिति है। उधर मेष लग्न का स्वामी मंगल है, जो चंद्रमा का मित्र है। इस प्रकार मेष लग्न से चंद्रमा को सहयोग मिलता है। ऐसे लोग मोती धारण करके चंद्रमा और मंगल दोनों की कृपा प्राप्त करते हैं। वृषभ लग्न वालों को मोती नहीं पहनना चाहिए। मिथुन लग्न वाले जातक के लिए मोती का प्रभाव आने का होता है, उसे यह रत्न धारण नहीं करना चाहिए। कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा है, इस आधार पर चंद्र रत्न मोती कर्क लग्न वालों के लिए निर्विवाद रूप से अनुकूल सिद्ध होता है। मोती धारण करके कर्क लग्न वाले व्यक्ति बहुत कुछ लाभ की अनुभूति करते हैं। सिंह लग्न वाले जातकों के लिए मोती हानि-कार होता है। अतः उन्हें नहीं पहनना चाहिए। कन्या लग्न वाला व्यक्ति को मोती रत्न विविध प्रकार के भौतिक सुख उपलब्ध कराता है। ऐसे व्यक्ति यश, कीर्ति, मान-सम्मान, संतान-सुख और अर्थ लाभ अवश्य प्राप्त करते हैं। तुला लग्न वालों को मोती धारण करना वर्जित है। चंद्रमा की स्थिति वृश्चिक लग्न वालों के लिए अनुकूल रहती है, अतः चंद्र रत्न मोती उन्हें शुभ फल देता है। ऐसे ऐसे लोग जो वृश्चिक लग्न में जन्मे हो, मोती धारण करके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसाय, धन, उपार्जन, यात्रा, आध्यात्मिक क्षेत्र में लाभ उठाते हैं। धनु लग्न वालों को मोती नहीं पहनना चाहिए। मकर लग्न वालों को भी मोती नहीं पहनना चाहिए। कुंभ लग्न वालों को भी मोती विशेष फलदाई नहीं होता है, परंतु मीन लग्न वालों को मोती पहनने से लाभ मिलता है।
इसी तरह के अन्य रत्नो के बारे में जानने के लिए आप हमारे संसथान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलॉजी से जेम्स एंड क्रिस्टलथेरेपी में पत्राचार द्वारा अध्यन कर सकते है।
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