बुरे राहु के संकेत क्या हैं?
By Institute of Vedic Astrology Dec 05 2019 Astrology
भूमिका
प्रकृति ने मनुष्य को छठी इंद्री के रूप में मन का उपहार दिया है। इस सौगात के बलबूते पर मनुष्य कई अनसुलझी पहेलियां भी सुलझा लेता है और कई रहस्यों से पर्दा भी उठा सकता है। उनमें से एक गुण यह है कि वह शुभ या अशुभ को देखकर उनके मूलभूत कारणों का पता भी लगा सकता है| शायद यही वजह है, कि ज्योतिष शास्त्र के आधार पर जीवन में होने वाले कष्ट देखकर राहु के अशुभ होने की बात पता लगा सकते हैं|
स्थितियां कष्टों के अनुसार अशुभ राहु -
जीवन में जब कष्ट आते हैं, तो उनके कारण अशुभ ग्रह होते हैं। अलग-अलग ग्रहों के अशुभ होने पर अलग-अलग प्रकार के कष्ट मिलते हैं। हम राहु की विभिन्न अशुभ स्थिति को उनके परिणामों द्वारा समझते हैं।
- यदि जीवन में सुख की हानि है या अपमान मिल रहा हो या परिवार से समाज से अपमान मिल रहा हो तो समझना चाहिए कि राहु जन्म कुंडली में अशुभ होकर लग्न में बैठा है।
- यदि जातक को धन हानि हो रही हो, खास कर स्थाई या पैतृक संपत्ति की हानि से नुकसान हो या व्यापार में धन हानि हो या जातक की वाणी में क्षोभ हो या वाणी में कटुता कहीं गई हो या कुटुम से वियोग या विरोध हो तब उस स्थिति में राहु अशुभ होकर द्वितीय भाव अर्थात धन भाव में बैठा होता हैl
- यदि जातक के परिवार में कलह - क्लेश बढ़ गया हो या उसके मन में दुख निराशा हो या कृषि या संपदा की हानि हो रही हो, तो निश्चित रूप से अशुभ राहु चौथे भाव अर्थात माता के भाव में स्थित है।
- यदि जातक की बुद्धि भ्रमित होने के कारण हानि हो रही हो या उसे सबके प्रति कु विचार आते हो या वह कुसंगति में पड़ गया हो या उसे पुत्र या मित्रों से दुख व क्लेश मिल रहा हो या उसके हर कार्य में बाधा आती हो तो समझना चाहिए कि अशुभ राहु पंचम भाव में स्थित हैl
- यदि जातक के अपनी पत्नी से मतभेद हो या उसके दांपत्य जीवन में तनाव हो या उसके साथ अलगाव की स्थिति हो तो निश्चित रूप से अशुभ राहु सप्तम भाव अर्थात विवाह स्थान में स्थित है ।
- यदि जातक को हर क्षेत्र में अपमान मिल रहा हो या हर कार्य में असफलता वह अपयश मिल रहा हो या उसके पद से उसे कई बार अब अवनति मिलती हो या उसे महान शारीरिक कष्ट उठाने पड़ते हो तो ऐसे में जन्म कुंडली में अशुभ राहु अष्टम भाव अर्थात मृत्यु के स्थान में स्थित होता है l
- यदि जातक के अपने पिता से मतभेद या विरोध होते हो या गुरुजन से विरोध होते हो या उसके भाग्य में बाधा या हानि होती है, तो उस स्थिति में राहु अशुभ होकर नवम भाव अर्थात भाग्य स्थान में स्थित है।
- यदि जातक के आपस में खर्चे बढ़ गए हो या उसे अनावश्यक जुर्माना भरना पड़ रहा हो या दंड का भागी बन रहा हो या उसे शारीरिक पीड़ा अधिक हो या उसकी बंधन की स्थितियां हो तो निश्चित रूप से अशुभ राहु द्वादश भाव अर्थात बारहवें स्थान में स्थित है।
निष्कर्ष- इस प्रकार जातक के जीवन में मिलने वाले परिणामों से राहु के अशुभ या शुभ होने के संकेत मिलते हैं।
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