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शनि की साढ़ेसाती के कुछ शुभ फल-

By Institute of Vedic Astrology Jun 26 2020 Astrology

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नव ग्रह मंडल में शनि देव को दंडाधिकारी एवं न्याय प्रिय ग्रह माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति द्वारा किए गए शुभ-अशुभ कर्मों का फल शनि ग्रह द्वारा अपनी दशा - अंतर्दशा, ढैया अथवा साढ़ेसाती में व्यक्ति विशेष को प्राप्त होता है। शनि ग्रह को ज्ञान एवं वैराग्य का कारक माना जाता है, एवं 12 राशियों में मकर एवं कुंभ राशियों का अधिपत्य इनके पास है। वहीं तुला के 20 अंशों पर इन्हें परम उच्च वही मेष राशि के 20 अंशों पर इन्हें नीचे तत्व प्राप्त होता है।

ज्योतिष शास्त्र में शनि को वायु तत्व, कल कारखाने, मजदूर वर्ग, लंबी अवधि तक चलने वाले रोग ,शरीर का नीचला हिस्सा, वात रोग, बीमा कंपनी, स्थाई संपत्ति, भूगर्भ शास्त्र, भूमि संबंधी कानून, खदान, जमींदार, न्यायाधीश, पैरो व घुटने के रोग इत्यादि का कारक तत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती वैसे तो मनुष्य के लिए कष्टप्रद मानी जाती है किंतु यदि व्यक्ति सदाचारी एवं धार्मिक प्रवृत्ति का होता है तब ऐसे व्यक्ति के लिए शनि की साढ़ेसाती लाभकारी बन जाती है। शनि की साढ़ेसाती जिन व्यक्तियों के लिए शुभ होती है उन व्यक्तियों को साढ़ेसाती की दशा कर्मठ बना देती है एवं वे लोग आलस्य त्याग कर प्रयासों में तेजी लाते हैं एवं कार्यकुशलता की ओर ध्यान केंद्रित रखते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी भी स्तर के क्यों ना हो यदि इनका भूमि के क्रय-विक्रय इत्यादि को लेकर कोई विवाद या मुकदमा चल रहा हो तब इन्हें शनि की साढ़ेसाती में उक्त पक्ष से लाभ होता है। ऐसे व्यक्तियों को शनि की साढ़ेसाती में स्थाई लाभ की प्राप्ति होती है एवं लंबे अंतराल से स्थगित योजनाओं को गति मिलती है एवं यह लोग समाज में मान प्रतिष्ठा एवं ख्याति अर्जित करते हैं। ऐसे लोगों के लिए शनि की साढ़ेसाती है स्थिर उन्नति को देने वाली एवं जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को समझाने वाली होती है।

लोगो का मानना है की साढ़ेसाती व्यक्ति को हमेशा बुरे फल ही प्रदान करती है परन्तु ऐसा जरुरी नहीं। यह व्यक्ति को स्तिथि और व्यक्तिगत दशा के अनुसार फल प्रदान करती है। इसी के बाद कुंडली शनि की स्तिथि  देखी जाती है, जिससे पता चलता है की वह व्यक्ति को किस प्रकार के फल देता है।

-साढ़ेसाती के दौरान ऐसे लोगों के वाणी में मिठास एवं व्यवहार में विनम्रता की वृद्धि होती है एवं कार्यकुशलता का विकास भी होता है।

-शनि की साढ़ेसाती जाते-जाते इन लोगों को आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर परिपक्व कर देती है। ऐसे लोग फिर जीवन पर्यंत सदाचार एवं धार्मिक आचरण से ही जीवन यापन करते हैं।

-साढ़ेसाती के समय के चलते व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देखता है किन्तु यह बुरा काल ताल जाने के पश्चात व्यक्ति को अपने जीवन में नए अवसरों और लाभ की प्राप्ति होती है।

- ऐसा माना जाता हैं की शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मो के अनुसार फल देते है, इसीलिए साढ़ेसाती के दौरान भी आप निश्चित रहे की आपको किसी बात से गहरा नुक्सान होगा, जब तक आपके कर्म अच्छे और समाज के लिए शुभ हो। इसीलिए शनि देव को न्याय का देवता भी कहाँ जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के कर्मो का अनुसार फल देते है वह भी स्तिथि में।

-शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को संतुलित रखने हेतु आप सदेव अपना व्यवहार और आचरण अपने माता-पिता और अन्य लोगो के प्रति अच्छा रखे। इसी के साथ शनि देव को ताम्बे में दीपक में तील या सरसों के तेल से निर्मित दिया लगाये ।

- यह चरण आपको जीवन में आगे की कठिनाइयों से सही तरह से लड़ने और निकलने की क्षमता देगी जिससे आप अपने जीवन को एक नयी राह दे सकेंगे।

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