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कन्या राशि वालों का पंचमी शनि

By Institute of Vedic Astrology Dec 19 2019 Astrology

कन्या राशि वालों का पंचमी शनि

गोचर क्या है।

हम सभी जानते हैं, कि पृथ्वी के साथ-साथ सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं। यही गोचर कहलाता है। चंद्रमा सबसे तीव्र गति से परिक्रमा करता है और शनि सबसे धीमी गति से परिक्रमा करता है। इसी गति को समझने के लिए मनुष्य ने जन्म कुंडली का निर्माण किया और उसमें 12 खाने बनाए। इन 12 खानों को भाव कहते हैं और एक राशि में किसी ग्रह के रहने का समय और फिर अगली राशि में जाने को उसका गोचर कहते हैं। चंद्रमा सबसे एक राशि से दूसरी राशि 2.15 दिन में पहुंच जाता है। जबकि शनि ग्रह को एक राशि से दूसरी राशि तक जाने में ढाई वर्ष लगते हैं।

शनि ग्रह

ऐसे तो शनि ग्रह बड़ा लाभदायक रहता है, परंतु वह बहुत धीमा चलने वाला होता है और धीमी गति से परंतु स्थाई लाभ देता है। जब शनि ग्रह नाराज हो जाता है या फिर कष्ट देता है तो वह अत्याधिक कष्ट देता है। जनसाधारण में शनि की साढ़ेसाती बहुत प्रचलित है, क्योंकि साढ़ेसाती में पूरे साढे सात वर्ष कष्ट के ही बीते हैं, परंतु शनि की एक स्थिति ऐसी भी होती है। जो भी जो साढ़ेसाती के बराबर ही कष्ट देती है और वह स्थिति होती है चंद्र लग्न से पंचम स्थान का शनि इसे कहते हैं पंचमी शनि और कर्नाटक में एक कहावत है कि पंचमी शनि फूटे मटके में खाना खिलाता है।

पंचमी शनि कैसे कष्ट देता है

कर्नाटक प्रदेश में साढ़ेसाती से अधिक दर पंचम शनि का मानते हैं। शनि जब पंचम भाव में हो, तो उसकी दृष्टि धन दौलत के दोनों भागों अर्थात द्वितीय तथा एकादश पर पड़ती है। साथ ही व्यापार के स्थान सप्तम भाव पर भी इस कारण उनका यह डर भी निर्मल नहीं। जब मनुष्य के धन भाव और लाभ भाव पर संकट आता है, तो निश्चित रूप से उसे बहुत कष्ट प्राप्त होता है। साथ ही पंचम स्थान में स्थित शनि की दृष्टि सातवें भाव पर पड़ती है। जो कि व्यापार का भाव है और दांपत्य जीवन का भाव है। व्यापार पर संकट आना मनुष्य पर के जीवन पर संकट आने जैसा होता है। साथ ही दांपत्य जीवन में मतभेद होना और भी कष्टकारी बात होती है।

पंचमी शनि कौन-कौन से कष्ट देता है।

24 जनवरी 2020 को शनि मकर राशि में प्रवेश करेगा और कन्या राशि वालों के लिए यह शनि पंचमी शनि रहेगा। तो अगले ढाई वर्षों तक कन्या राशि वालों को कुछ परेशानियां हो सकती है, परंतु यदि अभी से उपाय किए जाएं। तो शनि कष्ट नहीं देगा, अन्यथा शनि धन की हानि करता है साथ ही आय को कम करता है। जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद देता है। समाधान इस संकट से बचने के लिए बहुत सारे उपाय और समाधान हमारे पास हैं, परंतु उनको समझने के पहले हम शनि ग्रह के स्वभाव को समझते हैं। शनि ग्रह ऐसा ग्रह होता है, जो पहले व्यसनों के लिए उकसाता है, परंतु बाद में वही दंड भी देता है। तो हम इस सब से बचने के लिए यह उपाय करें, कि इस छोटी ढहिया के दौरान व्यसनों का त्याग कर दें। साथ ही यदि कहीं बाहर जाना पड़े, तो अपने साथ घर से भोजन लेकर चले, साथ ही पानी भी लेकर चले। जहां तक संभव हो इसके साथ ही यदि किसी रिश्तेदार के घर भोजन करना पड़े। तो किसी ना किसी रूप में उस भोजन की कीमत अदा कर दे। इस अवधि में ना तो किसी से लोहा दान में लें और ना ही किसी को लोहा दान करें और ना ही लोहा खरीदें। जहां तक संभव हो अपाहिजओं को कंबल का दान करें और यदि वह विधवा हो और साथ ही अपाहिज भी हो तो अति उत्तम।

प्रभावशाली उपाय

शनि की इस छोटी ढैया के दौरान दान करने वाली जो वस्तुएं होती है। वह काला उड़द, तेल, नीलम, काला तिल, कुलथी, भैंस, लोहा बर्तन के रूप में, दक्षणा, काला कपड़ा आदि पदार्थों का दान, शनि ग्रह की प्रसन्नता के लिए करना चाहिए। साथ ही शनि की स्तुति का मंत्र

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छाया मार्तंड संभुतम तम नमामि शनिश्चरा।।

इस मंत्र की स्तुति करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। साथ ही मंत्र के जप करने से जो कि दो प्रकार के मंत्र हैं पहला है।

“ओम शं शनिश्चराय नमः” और दूसरा “ओम प्राम प्रीम प्रौम स शनिश्चराय नमः” साथ ही विशेष रूप से शिवपूजन, हनुमंत पूजन और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

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