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जाने हाथ पर बने शनि पर्वत के बारे में हस्तरेखा शास्त्र से-

By Institute of Vedic Astrology Apr 25 2020 Palmistry

हमारे हाथों में विभिन्न प्रकार के पर्वत हमें देखने को मिलते हैं जिन्हें हम हस्तरेखा के अंतर्गत मानते हैं। इन्हें हाथों के ऊपर बने पर्वत इसीलिए भी कहा गया है, क्योंकि यह सामान्य पर्वत यानी कि पहाड़ जैसे भी नजर आते हैं जो हमारे हाथों में कुछ उभरे हुए होते हैं।

यह पर्वत हमारी हर उंगली के नीचे मौजूद होते हैं, जो हमें उस व्यक्ति के बारे में कई प्रकार की बातें भी बताते हैं, और वह पर्वत किस प्रकार का होता है। उस पर निर्भर करता है, कि व्यक्ति भी किस प्रकार का होगा या उसका जीवन या भविष्य किस प्रकार का होगा। वह व्यक्ति कैसा स्वभाव व कैसा चरित्र दुनिया के सामने रखता है या आगे जाकर वह अपने भविष्य में क्या करता है, इसका पता भी हम हाथों पर बने पर्वत की सहायता से पता लगा सकते हैं।

कई लोग ज्योतिष या विभिन्न प्रकार के तरीकों का सहारा लेते हैं, अपने भविष्य के बारे में पता करने के लिए। हस्तरेखा शास्त्र एक ऐसा शास्त्र है जो किसी दिलचस्प कला से कम नहीं है।

आज हम बात करेंगे मध्यमा उंगली पर स्थित शनि पर्वत की-

यह पर्वत मध्यमा उंगली के नीचे स्थित होता है। जिसके मूल में शनि का स्थान माना जाता है। यदि यह पर्वत हथेली पर स्पष्ट ना हो तो सफलता और सम्मान से जातक वंचित रह जाता है। यदि यह पर्वत किसी के हाथ पर स्पष्ट दिखाई देता है या विकसित दिखाई देता है तो इसका मतलब यह होता है कि जातक काफी भाग्यवान होता है।

ऐसे व्यक्ति प्रयत्न करने पर सफलता पाते हैं। वैसे तो हर पर्वत अपने आप में विशेष है परंतु शनि पर्वत किसी भी व्यक्ति के जीवन के बारे में सही से सही बात उसे दर्शा सकता है।

यदि मध्यमा उंगली का सिरा नुकीला हो तो जातक कल्पना प्रिय होगा यदि ऐसा ना होकर वर्गाकार हो तो कृषि अथवा रसायन के क्षेत्र से जातक जुड़ सकता है, और ऐसे क्षेत्र में अपना नाम बना सकता है।

यदि किसी व्यक्ति का पर्वत अधिक स्पष्ट ना होकर अधिक उम्र आवा हो तो व्यक्ति ज्यादा भाग्यशाली नहीं माना जाता इसी के साथ उस व्यक्ति पर विभिन्न प्रकार के बुरे प्रभाव भी पढ़ते हैं। ऐसे व्यक्ति के दिमाग में कभी ना कभी आत्महत्या के ख्याल तक उत्पन्न हो जाते हैं।

ऐसे व्यक्ति स्वभाव से डाकू और लुटेरा बनके अपना जीवन व्यतीत करते हैं,या फिर ऐसे व्यक्तियों की अकाल मृत्यु भी हो जाती है। ऐसे व्यक्तियों के हाथ पीले भी नजर आते हैं।

वहीं यदि किसी व्यक्ति का शनि पर्वत बढ़कर गुरु पर्वत से मिल रहा हो तो ऐसे व्यक्तियों को आदर व सम्मान उनकी योग्यता की वजह से प्राप्त होता है। यदि उस पर्वत का झुकाव रवि या सूर्य पर्वत की ओर नजर आता है तो जातक अपने कार्य से मन चुराने वाला होता है और आलसी प्रवृत्ति का होता है।

व्यक्ति जिनके हाथों पर यह पर्वत विकसित रूप से उभरा वाह पाया जाता है और स्पष्ट पाया जाता है तो वह व्यक्ति अपने जीवन में काफी तरक्की कर पाता है।

यदि शनि पर्वत और विकसित स्थिति में पाया जाता है तो व्यक्ति अपने घर गृहस्थी की चिंता में चिंतित रहता है और उस व्यक्ति का स्वभाव शंका पूर्ण होता है।

शनि ग्रह के पूर्ण रूप से विकसित और स्पष्ट होने पर व्यक्ति प्रबल रूप से भाग्यवान होता है, और जीवन में बड़ी कामयाबी हासिल करता है ऐसे व्यक्ति हमेशा अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हैं।

अगर किसी भी व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत पर आवश्यकता से अधिक रेखाएं पाई जाती है, तो वह व्यक्ति कायर होने के साथ-साथ अत्यधिक विभिन्न समस्याओं का भोगी भी बनता है, और शनि पर्वत के साथ सूर्य पर्वत भी विकसित होता है तो व्यक्ति एक सफल व्यापारी या आर्थिक दृष्टि से प्रबल और संपूर्ण होता है।

जातक बात है उन व्यक्तियों की जिनकी हथेली पर यह पर्वत मौजूद नहीं होता या बिल्कुल भी विकसित नहीं होता तो ऐसे व्यक्ति कई बार और असफलता की प्राप्ति करते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में मित्रों की संख्या भी कम होती है और वह स्वभाव से ठग होते हैं और वह धर्म एवं आस्था में बिल्कुल भी यकीन नहीं रखते।

यदि आपको भी शनि पर्वत के साथ दूसरे पर्वतों के बारे में हस्तरेखा से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना है, तो आप भी हमारी संस्थान इंस्टिट्यूट ऑफ वैदिक एस्ट्रोलॉजी के माध्यम से पत्राचार पाठ्यक्रम के जरिए हस्तरेखा शास्त्र सीख सकते हैं और अपने और अपने जीवन के बारे में दिलचस्प जानकारियां हासिल कर अपने जीवन को नई राह दे सकते हैं।

 

 

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