गुरु गृह और उससे सम्बंधित कुछ ख़ास बातें
By Institute of Vedic Astrology Jun 19 2020 Astrology
सूर्य, चंद्रमा की भांति वृहस्पति ग्रह भी सौरमंडल का एक सदस्य है। समस्त ग्रह विंडो में सबसे अधिक वजनी और भीम का यह पृथ्वी की कक्षा में मंगल के बाद स्थित है। गुरु को काल पुरुष का ज्ञाता माना गया है। गुरु ग्रह को ब्राह्मण जाति, पीत वर्ण, हेमंत ऋतु का स्वामी, भूरे रंग के नेत्र वाला, गोल आकृति तथा स्थूल स्वरूप वाला माना गया है। गुरु ग्रह को ग्रह मंडल में मंत्री का पद प्राप्त है। वेदों तथा पुराणों के अनुसार ऋग्वेद में रुचि रखने, मृदु स्वभाव का स्वामी, उत्तर दिशा का प्रतिनिधि माना गया है।
गुरु ग्रह के अन्य नाम भी है जैसे संस्कृत में वृहस्पति , वाचस्पति, देवाचार्य, अंगिरा और जिओ के नाम से भी गुरु को जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे जूपिटर के नाम से पुकारा जाता है।
यदि हम ऐसे पौराणिक दृष्टिकोण से देखें तो गुरु को महर्षि अंगिरा का पुत्र माना जाता है। महर्षि अंगिरा की गणना सप्तर्षियों से भी की जाती है। वृहस्पति की माता का नाम श्रद्धा है जो कि कर्दम ऋषि की सुपुत्री थी। पुराणों के अनुसार कई बार बृहस्पति को अन्य ग्रहों की अपेक्षा अधिक बलशाली, कोमल वृत्ति वाला, ज्ञान का प्रदाता तथा अत्यंत शुभ ग्रह के रूप में उल्लेख किया जाता है।
ज्योतिष मत से गुरु ग्रह को धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है। सूर्य, चंद्र और मंगल ग्रह गुरु के नजदीकी मित्र हैं। वहीं इसके शत्रु बुध और शुक्र ग्रह है। शनि, राहु और केतु के साथ गुरु समभाव रखता है। इसे पंचम भाव का कारक माना गया है। गुरु ग्रह को कर्क राशि में 5 अंश तक उच्चस्त राशि तथा मकर राशि में 5 अंक तक परम नीचस्त माना गया है। इसकी गणना शुभ ग्रहों में की जाती है। ज्योतिष में इस तथ्य के प्रमाण एक उदाहरण मिलते हैं कि अकेला लगना सतगुरु एक लाख दोषों को दूर करने में सक्षम है। गुरु ग्रह जातक के जीवन में 15, 22 एवं 40 वर्ष की आयु में अपना प्रभाव दिखाता है।
गुरु ग्रह भी चंद्र एवं सूर्य की भांति सदैव मार्गी नहीं होता, अपितु समय-समय पर मार्गी, वक्री अथवा अस्त होता रहता है। गुरु ग्रह को अंक शास्त्र में सूर्य और चंद्रमा के उपरांत दूसरा स्थान दिया गया है। गुरु ग्रह जातक के जन्मांग चक्र में जिस भाव में विद्यमान रहता है वहां से द्वितीय तथा दशम भाव को एक पाद दृष्टि से, पंचम एवं नवम भाव को द्विपाद दृष्टि से, सप्तम एवं नवम भाग को पूर्ण दृष्टि से देखता है।
यदि गुरु की स्थिति प्रतिकूल अथवा दोषपूर्ण है तो जातक नाक, कान, गले और नजले से संबंधित रोगों से ग्रसित रहता है। गुरु के अशुभ प्रभाव से हृदय रोग, क्षय रोग, कफ विकार तथा चर्बी जनित रोग जातक को प्रभावित करते हैं।
गुरु ग्रह को स्त्रियों का सौभाग्य वर्धक तथा संतान सुख का कारक ग्रह भी माना गया है। है इसके अतिरिक्त हल्दी, धनिया, प्याज, ऊन तथा मोम आदि का प्रतिनिधि भी गुरु को माना जाता है। यह बुद्धि, विवेक, यश, सम्मान, धन, संतान तथा बड़े भाई का भी प्रतिनिधित्व करता है।
बृहस्पति ग्रह तथा इसका प्रभाव मृदुल स्वभाव वाला, आध्यात्मिक तथा पारलौकिक सुख में रुचि रखने वाला होता है। गुरु के प्रति होने पर कफ एवं चर्बी जनित रोगों की वृद्धि होती है। जातक मंदबुद्धि का, चिंता में रहने वाला, व्यस्त जीवन में तनाव से पीड़ित, पुत्र अभाव के संताप से पीड़ित और रोगी रहता है। गुरु के अशुभ प्रभाव के कारण जातक के प्रत्येक कार्य में व्यवधान तथा असफलता ही हाथ लगती है।
शुभ तथा बलवान गुरु जातक को परमार्थी, चतुर, कोमल, मति विज्ञान का विशेषज्ञ, न्याय, धर्म, नीति का जानकर, सात्विक वृद्धि से युक्त तथा संपत्ती दायक बनाता है। गुरु प्रधान व्यक्ति को पुत्रों का सुख प्राप्त होता है। श्री के साथ उस व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा एवं कीर्ती भी बढ़ती है।
यदि आप गुरु ग्रह के बारे में और गहरी जानकारी चाहते हैं तो आप भी वैदिक ज्योतिष सलाहकार बन या ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त कर इसकी जानकारी ले सकते हैं।
इंस्टिट्यूट ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलॉजी ऐसी संस्थान है जहां से आप पत्राचार पाठ्यक्रम के जरिए वैदिक ज्योतिष का ज्ञान घर बैठे हासिल कर सकते हैं।
Search
Recent Post
-
Exploring planetary conjunctions and yogas in your natal chart: revealing their impact
As we embark deeper into the complex world of Vedi...Read more -
The mysterious world of rashis in vedic astrology
Vedic Astrology Courses offer profound insights in...Read more -
Unveiling the cosmic order: deciphering planetary aspects in the natal chart
Vedic astrology is the ancient Indian art of divin...Read more -
Decoding your birth chart: the significance of the ascendant (lagna) and moon sign (rashi)
While Vedic astrology is based on sidereal astrolo...Read more -
What are the main components of a vedic astrology chart?
Welcome to the mystical world of Vedic astrology! ...Read more